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क्यों ज़रूरत है देश को शिक्षा क्रांति की?

हमारे देश ने पूर्व में श्वेत, हरित इत्यादि बहुत से क्रांतियां देखीं हैं. आज जिस क्रांति की देश को सबसे अधिक ज़रूरत है वह है शिक्षा क्रांति. शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे अधिक संवेदनशील और सरकारों द्वारा उतने ही उपेक्षित क्षेत्र हैं.

शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है जिससे हम सामाजिक तथा राजनीतिक कुरीतिओं  को समाप्त कर सकते है. नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी के शब्दों में समाज को गरीबी तथा शोषण से बहार निकलने का एकमात्र साधन शिक्षा ही है. अगर हम भविष्य में एक बेहतर राष्ट्र की कल्पना करते हैं तो हमें आज से ही एक अच्छी शिक्षा के लिए निवेश और प्रयास करने की आवश्यकता है.

लेकिन किसी तरह का वोट बैंक के न जुड़े होने से हमेशा ही सरकारों को रवैया उदासीन ही रहा है. किसी भी सरकार के बजट को देखा जाये तो शिक्षा को कोई खास तवज्जो नहीं मिलती है. हालाँकि दिल्ली सरकार का बजट और कोशिशें इस सन्दर्भ में एक अपवाद रहा है, जहाँ सबसे अधिक तवज्जो शिक्षा को दी गयी. इसी के परिणामस्वरूप दिल्ली सरकार के स्कूलों में एक परिवर्तन भी देखने को मिल रहा है.

लेकिन दिन प्रतिदिन शिक्षा का गिरता स्तर एक बहुत ही गंभीर विषय है. सरकारी स्कूलों में तो हालत ख़राब हैं ही, प्राइवेट स्कूलों में भी शिक्षा की वह गुणवत्ता नहीं मिल रही जितना अभिभावकों से पैसा वसूला जा रहा है. स्कूल केवल परीक्षा में अंक लाने तक सीमित रह गए हैं. शिक्षा से व्यवहारिकता समाप्त होती जा रही है. विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण की तरफ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा.

एक अच्छे भविष्य के लिए एक अच्छी शिक्षा की ज़रूरत क्यों है? शिक्षा समाज समाज में परिवर्तन कैसे ला सकती है? यह बहुत ही गंभीर सवाल हैं.

अगर हम चाहते हैं की समाज में बुनियादी स्तर पर कुछ बदलाव आये और समाज से कुरीतियां ख़त्म हो जाये तो यह हम उस पीढ़ी से अपेक्षा नहीं कर सकते जो यही सब देखते सुनते बड़ी हुई है. इसके लिए हमें आने वाली पीढ़ी को तैयार करना पड़ेगा ताकि वो हर एक चीज़ की तार्किक आधार पर तुलना करे और सोचे समझे कि क्या सही है क्या गलत फिर और निर्णय लें. किसी बात पर इसलिए विश्वास कर लेना कि वह किसी बुज़ुर्ग ने कही है, सही नहीं है. इसी वजह से जातिवाद जैसी कुरीतियां अभी भी फल फूल रही हैं.

हम अपने समाज को सुशिक्षित बना कर ही समाज से हिंसा, भेदभाव, नशा, शोषण और आज की सबसे बड़ी समस्या गरीबी को दूर कर सकते हैं. शिक्षा से ही इंसान इस काबिल बन सकता है कि वो अपना जीवन यापन अच्छे से कर सके.

आज के समाज में मनुष्य को आत्म केंद्रित होता जा रहा है जो सिर्फ अपने खुद के स्वार्थ तक सीमित रह गया है. समाज और देश की भलाई की चिंता न करके सिर्फ अपनी भलाई के बारे में सोचने वाला रवैया समाज और देश की उन्नति में बाधक बनता जा रहा है. हमें समाज को मैं से हम की सोच तक ले जाने के लिए प्रेरित करना होगा जो एक अच्छी शिक्षा से ही हो सकता है.

हमारे समाज में नैतिक मूल्यों में आ रही कमी भी एक गंभीर विषय है. इंसान का सिर्फ काबिल होना काफी नहीं है उसमें अच्छे बुरे की पहचान होना भी बहुत ज़रूरी है. मन लीजिये कोई व्यक्ति बहुत ही काबिल डॉक्टर या इंजीनियर बन जाता है लेकिन अगर उसका  चरित्र और नैतिक मूल्य ठीक नहीं होंगे तो सोचिये वह समाज को कितना नुकसान पहुंचा सकता है. वहीँ दूसरी ओर अच्छी नैतिकता वाला व्यक्ति चाहे बेरोज़गार ही क्यों न हो समाज का अच्छा ही करेगा. विद्यार्थियों में अच्छे नैतिक मूल्यों का रोपण और चरित्र निर्माण भी अच्छी शिक्षा के माध्यम से ही संभव है.

तो अगर हम चाहते हैं की आने वाले समय में हम एक अच्छे समाज का निर्माण करे तो हमारी सरकारों को गंभीरता से शिक्षा के क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त समाज तथा नागरिकों को भी अपनी क्षमता के अनुसार अच्छी शिक्षा के लिए काम करना चाहिए. शिक्षकों को शिक्षा एक व्यवसाय मात्रा न समझ के इसे एक ज़िम्मेदारी के रूप में लेना चाहिए और छात्रों को एक अच्छी शिक्षा प्रदान करने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए. तभी हम सब मिलकर एक अच्छे राष्ट्र की कल्पना कर सकते हैं.

This article is written by Sunil Dogra, Chairman of Shikshavid Primary School, Padhar.

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